हम तो दिलजले हैं…
तू क्यूँ दूर है ?
फिक्र नही मंजिल मिल जायेगा
फासलों का क्या है ?
बढ़ता है तो बढ़ने दिया जायेगा
राहों में फूल नही है ?
काँटों में चलने में भी मज़ा आयेगा
दुओं में शामिल नहीं है ?
खुदा से अब तो लड़ने में मज़ा आयेगा
तेरे शहर में अँधेरा है ?
दिल ज़लाकर उजाला कर लेंगे, हम तो दिलजले हैं
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