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“विश्वास रखो माँ”

Hridayagatha
Hridayagatha
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माता दिवस अमर रहे…

“मित्रों आज का दिन माँ के ममता, प्यार को याद करने का प्रतीक दिवस है, मैं अपनी एक कविता माँ के स्नेह को समर्पित करते हुए आप सभी के सामने प्रस्तुत करता हूँ.. इसके पहले मैं एक आग्रह भी करना चाहता हूँ की आप सभी सिर्फ एक दिन मात्र माँ को याद ना करें क्यूँ की माँ कोई भूलने वाली चीज़ नहीं है.. वो तो जीवन के हर पल हर सांस में बसी होती है”

मेरे मासूम चेहरे से कोई,
नज़रें हटाते क्यूँ नही ?
मेरे बढ़ते हुये किताबों पर,
नज़रे डताते क्यूँ नहीं ?

किस्से मासूमियत के,
आप ही लोग बताते हो !
फिर क्यूँ भविष्य की चिंता,
में हमें सताते हो ?

मेरे कदमों की लडखडाहट से,
घबराते क्यूँ हो ?
क्या मैं पहले कभी,
चलते समय गिरा नही हूँ ?

विश्वास रखो माँ,
मेरे कदम लडखडाये कोई बात नहीं !
तेरे विश्वास, तेरे अरमान और मेरे सपने,
कभी नहीं लडखडायेंगे !

मुकेश गिरि गोस्वामी “हृदयगाथा : मन की बातें”

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